नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार चौथे सप्ताह में वृद्धि दर्ज करते हुए $665.4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। यह पिछले पांच महीनों का उच्चतम स्तर है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में विदेशी मुद्राएँ, स्वर्ण भंडार (सोना), विशेष आहरण अधिकार (SDR), और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की स्थिति शामिल होती है। यह किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता और वैश्विक भुगतान क्षमता का सूचक होता है।
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किस कारण बढ़ा भंडार?
रिपोर्ट के अनुसार, भंडार में यह वृद्धि मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से हुई है:
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता
- विदेशी निवेशकों की मजबूत भागीदारी
- वैश्विक बाजारों में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन
विशेषज्ञों की राय:
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह उछाल भारत को वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के समय में मजबूत स्थिति में रखेगा। इससे रुपये की रक्षा, आयात के भुगतान, और विदेशी कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी। यदि यह प्रवृत्ति बनी रहती है, तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अगले कुछ महीनों में $680 बिलियन के आंकड़े को भी छू सकता है। इससे देश की क्रेडिट रेटिंग और वैश्विक निवेशकों का विश्वास और मजबूत होगा।